आजकल फिजियोथेरेपी समुदाय मैं एक अजीब सी ख़ामोशी छाई हुई है।
सभी आंदोलन शांत या तो ठप पड़ रहे है। कारण समझ से परे है, या तो हम सभी हार मान चुके है या थक चुके है ।
कोई मांग नहीं हो रही है सरकार से, कोई धरना प्रदर्शन भी नहीं हो रहा।
विभिन्न फिजियोथेरेपी संगठनों के प्रतिनिधियों की भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है।
राजनीतक हलकों में भी फिजियोथेरेपी को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं है।
खैर राजनीतिज्ञों को फिजियोथेरेपी से क्या लेना देना? उनकी समझ तो इस को मालिश से ज्यादा कुछ नहीं मानती।
लेकिन जिंदगी का हर पल लाजवाब हो न हो जिंदगी के हर सवाल का जवाब होना चाहिए, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितनी ही देर लगी बस इंसान को जिंदगी में कामयाब होना चाहिए।
अगर आप सोचते हैं कि आप कर सकते हैं – तो आप कर सकते हैं। अगर आप सोचते हैं कि आप नहीं कर कते हैं – तो आप नहीं कर सकते हैं। और हर तरह से…आप सही हैं।
मेरे पिछले लेख में भी मैंने कहा था कि अगर ब्रिज कोर्स अन्य हैल्थ केयर कोर्सेज के लिए चलाया जा सकता है तो फिजियोथेरेपी के लिए क्यों नहीं( इसीलिए दोस्तों आज ही अपनी सोच को बदलो आप हर वह काम कर सकते हैं जो दूसरा कर रहा है)।
निरंतर अभ्यास करने से हम स्वास्थ रह सकते है यही हम अपने मरीजों को नशिहत देते हैं, अपनी बारी मैं क्यों भूल जाते है।
हम को भी प्रयास नहीं छोड़ना है। विभिन्न फिजियोथेरेपी संगठनों और नेताओं से मेरा अनुरोध है कि आप अपने प्रयास मैं कोई कमी ना रखे, आप पर लाखों करोड़ों लोगों की उम्मीदें कायम हैं।
बीते समय में भी आप लोगों ने काफ़ी बेहतर प्रयास किए हैं ।
उम्मीद है आप आगे भी प्रयास जारी रखेंगे।
यहां में कुछ संगठनों का नाम लेना चाऊंगा जिनके कार्य से बीते समय में लाभ हुआ है अभिनव फिजियो संगठन, एआईएपी ब्रांच बिहार, इंदौर महाराष्ट्र फिजियो काउंसिल।आईएपी के प्रयास भी सराहनीय है लेकिन उमीदें कुछ ज्यादा रखता हूं।
वयकित विशेष का नाम नहीं लूंगा लेकिन क्रांतिकरियों की कमी नहीं है फिजियथैरेपिस्ट समाज में।
हम अपने भाग्य के सहारे की रहें है।
भाग्य’ के दरवाजे पर सर पीटने से बेहतर हैं, कि अपने ‘कर्म’ का तूफ़ान पैदा कर… फिर देख सारे दरवाजे खुल जाएंगे।
Visibility बनानी होगी जागृति लनी होगी, पुराने प्रयास फिर दोहराने होंगे, हंगर स्ट्राइक, धरना प्रदर्शन फिर से करना होगा।
चुनाव का समय है ये हमारे लिए positive है।
सबको अपने अपने स्तर पर काम करना होगा सफलता हमको जरूर मिलेगी।
अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि रख हौंसला वो मंजर भी आयेगा, प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा, थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफ़िर, मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आयेगा।
जय हिन्द । जय फिजीयोथैरपी।
सभी आंदोलन शांत या तो ठप पड़ रहे है। कारण समझ से परे है, या तो हम सभी हार मान चुके है या थक चुके है ।
कोई मांग नहीं हो रही है सरकार से, कोई धरना प्रदर्शन भी नहीं हो रहा।
विभिन्न फिजियोथेरेपी संगठनों के प्रतिनिधियों की भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है।
राजनीतक हलकों में भी फिजियोथेरेपी को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं है।
खैर राजनीतिज्ञों को फिजियोथेरेपी से क्या लेना देना? उनकी समझ तो इस को मालिश से ज्यादा कुछ नहीं मानती।
लेकिन जिंदगी का हर पल लाजवाब हो न हो जिंदगी के हर सवाल का जवाब होना चाहिए, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितनी ही देर लगी बस इंसान को जिंदगी में कामयाब होना चाहिए।
अगर आप सोचते हैं कि आप कर सकते हैं – तो आप कर सकते हैं। अगर आप सोचते हैं कि आप नहीं कर कते हैं – तो आप नहीं कर सकते हैं। और हर तरह से…आप सही हैं।
मेरे पिछले लेख में भी मैंने कहा था कि अगर ब्रिज कोर्स अन्य हैल्थ केयर कोर्सेज के लिए चलाया जा सकता है तो फिजियोथेरेपी के लिए क्यों नहीं( इसीलिए दोस्तों आज ही अपनी सोच को बदलो आप हर वह काम कर सकते हैं जो दूसरा कर रहा है)।
निरंतर अभ्यास करने से हम स्वास्थ रह सकते है यही हम अपने मरीजों को नशिहत देते हैं, अपनी बारी मैं क्यों भूल जाते है।
हम को भी प्रयास नहीं छोड़ना है। विभिन्न फिजियोथेरेपी संगठनों और नेताओं से मेरा अनुरोध है कि आप अपने प्रयास मैं कोई कमी ना रखे, आप पर लाखों करोड़ों लोगों की उम्मीदें कायम हैं।
बीते समय में भी आप लोगों ने काफ़ी बेहतर प्रयास किए हैं ।
उम्मीद है आप आगे भी प्रयास जारी रखेंगे।
यहां में कुछ संगठनों का नाम लेना चाऊंगा जिनके कार्य से बीते समय में लाभ हुआ है अभिनव फिजियो संगठन, एआईएपी ब्रांच बिहार, इंदौर महाराष्ट्र फिजियो काउंसिल।आईएपी के प्रयास भी सराहनीय है लेकिन उमीदें कुछ ज्यादा रखता हूं।
वयकित विशेष का नाम नहीं लूंगा लेकिन क्रांतिकरियों की कमी नहीं है फिजियथैरेपिस्ट समाज में।
हम अपने भाग्य के सहारे की रहें है।
भाग्य’ के दरवाजे पर सर पीटने से बेहतर हैं, कि अपने ‘कर्म’ का तूफ़ान पैदा कर… फिर देख सारे दरवाजे खुल जाएंगे।
Visibility बनानी होगी जागृति लनी होगी, पुराने प्रयास फिर दोहराने होंगे, हंगर स्ट्राइक, धरना प्रदर्शन फिर से करना होगा।
चुनाव का समय है ये हमारे लिए positive है।
सबको अपने अपने स्तर पर काम करना होगा सफलता हमको जरूर मिलेगी।
अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि रख हौंसला वो मंजर भी आयेगा, प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा, थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफ़िर, मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आयेगा।
जय हिन्द । जय फिजीयोथैरपी।